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कुछ कह नहीं सकता... काफी चिजों को सिखना बाकी है ...

मंगलवार, 8 सितंबर 2009

सौगात

सामने तो बेरहम बरसात थी
आज लम्बी ज़िन्दगी में रात थी
वक्त के हाथों हुआ मजबूर मैं
काबील-ए- तारीफ उसकी बात थी
छोड़ दी बाजी हमने जानकर
जितने पर हमारी मात थी
गम गलत करने का मौसम आ गया
मैकदे में हो रही बरसात थी
आंसुओं को क्यों बहाऊ मैं दोस्त
ये किसी की दी हुई सौगात थी

रविवार, 6 सितंबर 2009

जज़्बात

मिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करते
वफा वो भी नही करते, वफा हम भी नही करते
उन्हे रुसवाई का है खौफ, हमें तन्हाई का है गम
गिला वो भी नही करते, शिकवा हम भी नही करते
किसी मोड़ पर टकरा अक्सर जाते है हम
रुका वो भी नही करते, ठहरा हम भी नही करते
जब भी देखते है उन्हें, सोचते है कुछ कहे उनसे
सुना वो भी नही करते, कहा हम भी नही करते
लेकिन ये भी सच है कि मुहब्बत है उनको भी
लेकिन कहा वो भी नही करते, कहा हम भी नही करते

एक आवाज़

दिल में हसरत तेरे मुलाकात की है
ये फ़रियाद मेरे ज़ज्बात की है
आ जाओ ज़िन्दगी में एक पल ही सही
मेरी ज़िन्दगी चंद लम्हात की है
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काश तेरा प्यार फूलों की तरह न हो
जो एक बार खिले और फिर मुर्झा जाए
ये प्यार चाहत है कांटो की तरह हो
कि बस एक बार चुभे, और ज़िन्दगी भर याद आए

शनिवार, 5 सितंबर 2009

आपकी मुन्नी

यूपी के रामपुर में दस दिन पहले जन्म लेनेवाली एक बच्ची आपसे कुछ कहना चाहती है, क्या आप सुनेंगे।
आपकी मुन्नी : मेरा कुछ भी नाम हो सकता है ... मान लीजिए मेरा नाम है आपकी मु्न्नी। आपकी मुन्नी को आंखे खोले दस दिन हुए हैं। पिछले आठ महीने से मां के पेट में सोते जागते हर पल आपकी मुन्नी मां के बारे में ही सोचा करती थी, आपकी मुन्नी जानना चाहती थी कैसी होती है मां, आपकी मुन्नी मां की गोद में सोना चाहती थी। लेकिन जब आपकी मुन्नी ने जन्म लिया तो कहीं नहीं थी मां। आपकी मुन्नी को लगा शायद मां पास ही होगी, लेकिन मां नहीं आई, आपकी मुन्नी डर गई, आपकी मुन्नी रोने लगी, लेकिन मां नहीं आई। रो रोकर आपकी मुन्नी सो गई, आंखें खुली तो आपकी मुन्नी इस अस्पताल  में थी । यहां आपकी मुन्नी को मां मिली। लेकिन फिर यहां कुछ लोग आ गए। उनका कहना था कि आपकी मुन्नी मां के पास नहीं रह सकती। उनका कहना था कि आपकी मुन्नी का मजहब अलग है और मां का अलग। आपकी मुन्नी को नहीं मालूम था कि मां का भी कोई मजहब होता है। आपकी मुन्नी मां के पास रहना चाहती थी, लेकिन आपकी मुन्नी को मां से अलग कर यहां ( शिशु सदन ) भेज दिया गया। आपकी मुन्नी को मां की बहुत याद आती थी। आपकी मुन्नी बीमार पड़ गई। आपकी मुन्नी ने दूध पीना छोड़ दिया लेकिन आपकी मुन्नी को नहीं मिली मां। डॉक्टर कहते हैं आपकी मुन्नी को सेप्टीसिमिया हो गया है, वो कहते हैं आपकी मुन्नी की चंद सांसे ही बची हैं।

ख़तरे में आर्कटिक

दुनिया भर के उन सभी इलाक़ों में बढ़ते हुए तापमान का असर दिख रहा है जहां बर्फ़ है...अमरीका में हुए नए शोध के मुताबिक आर्कटिक क्षेत्र में पिछले दो हज़ार सालों में ताममान सबसे अधिक हो गया है जो इस बात का संकेत है कि मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है... वैज्ञानिकों का कहना है कि आर्कटिक में पूरे उत्तरी गोलार्ध की तुलना में तीन गुना तेज़ी से तापमान बढ़ रहा है और इसकी वजह मानवीय गतिविधियों से पैदा हो रही कार्बन डाई ऑक्साइड है... ये शोध अमरीकी पत्रिका जर्नल साइंस में छपा है... शोध के अनुसार पिछले सात हज़ार वर्षों में एक ऐसी प्राकृतिक स्थिति बननी थी जिसमें आर्कटिक के क्षेत्र को सूरज की कम से कम रोशनी मिलनी चाहिए थी. इस प्रक्रिया के तहत आर्कटिक को अब भी ठंडा होते रहना था. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. वर्ष 1900 के बाद आर्कटिक का तापमान बढ़ता जा रहा है और 1950 के बाद इसमें और अधिक तेज़ी आ गई है... आर्कटिक में हो रहा बदलाव जलवायु परिवर्तन है. आईपीसीसी ने जो कल्पनाएं की थीं वो सही साबित हो रही हैं. आर्कटिक गर्मी को सोख रहा है और बर्फ ख़त्म हो रही है. गर्मी बढ़ रही है... पिछले 2000 वर्षों में आर्कटिक का तापमान अभी सबसे अधिक है. पिछली एक सदी में आर्कटिक का तापमान पूरे उत्तरी गोलार्ध की तुलना में तीन गुना तेज़ी से बढ़ा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें अब कोई शक नहीं रह गया है कि तापमान बढ़ने की वजह सिर्फ़ और सिर्फ़ मानवीय गतिविधियों के कारण पैदा होने वाला कार्बन डाई आक्साइड है... वैज्ञानिकों ने भूगर्भीय रिकार्डों और कंप्यूटरों की मदद से पिछली दो शताब्दियों में तापमानों का खाका तैयार किया है. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर आर्कटिक का तापमान बढ़ता ही रहा तो इससे समुद्र के जल स्तर में तेज़ी से बढ़ोतरी हो सकती है....